Delhi High Court ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय द्वारा 17 छात्रों के निलंबन को अप्रैल तक स्थगित कर दिया है। ये छात्र फरवरी में विश्वविद्यालय परिसर में 2019 के सीएए विरोधी प्रदर्शनों पर पुलिस कार्रवाई की बरसी मनाने के दौरान प्रदर्शन कर रहे थे। अदालत ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों के प्रति संवेदनशील रहने की सलाह दी।

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न्यायालय का महत्वपूर्ण अवलोकन (Delhi High Court)
मंगलवार को न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा, “वे आपके ही छात्र हैं, उन्हें सही तरीके से संभालना चाहिए। अगर कोई आपराधिक गतिविधि में शामिल है तो निश्चित रूप से कार्रवाई करें, लेकिन इस तरह नहीं।” न्यायालय ने यह भी कहा कि “छात्रों को शांतिपूर्ण तरीके से अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है, और यह लोकतांत्रिक मूल्यों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।”
न्यायालय ने कहा कि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर (VC), डीन, और मुख्य प्रॉक्टर को मिलकर एक समिति बनानी चाहिए, जिसमें छात्रों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए ताकि मामले का समाधान निकाला जा सके। अदालत ने यह भी कहा कि छात्रों के विरोध प्रदर्शन को संभालने का विश्वविद्यालय का तरीका चिंता का विषय है। छात्रों की उम्र को देखते हुए, विश्वविद्यालय को उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन करना चाहिए, न कि कठोर दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।
छात्रों का पक्ष (Delhi High Court)
छात्रों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्विस ने तर्क दिया कि विश्वविद्यालय का यह निर्णय “अत्यधिक असंगत और अनुचित” है। उन्होंने कहा कि छात्रों को निलंबित करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया, जो कि प्रशासनिक शक्तियों का दुरुपयोग है। अधिवक्ता अभिक चिमनी और प्रांजल अबरोल ने भी अदालत के समक्ष यह तर्क दिया कि छात्रों को बिना किसी कारण बताओ नोटिस या अनुशासनात्मक कार्यवाही के निलंबित कर दिया गया।
कुछ छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन ने उनसे माफी मांगने और भविष्य में किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन से दूर रहने का लिखित आश्वासन मांगा। छात्रों का कहना है कि यह विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उनके अधिकारों को दबाने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र का एक अभिन्न हिस्सा है, और उन्हें अपने विचार व्यक्त करने का पूरा अधिकार है।
विश्वविद्यालय प्रशासन का पक्ष (Delhi High Court)
विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता अमित साहनी ने कहा कि प्रदर्शन का शिक्षाविदों से कोई संबंध नहीं था और यह बिना अनुमति के आयोजित किया गया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि छात्र कैंटीन के बाहर सो रहे थे और विश्वविद्यालय परिसर की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था, जिसके चलते दिल्ली पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। प्रशासन ने यह भी दावा किया कि प्रदर्शन में शामिल कुछ छात्रों ने विश्वविद्यालय के अनुशासनात्मक नियमों का उल्लंघन किया था, जिसके चलते यह कार्रवाई आवश्यक थी।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि छात्रों को अपने मुद्दे उठाने के लिए उचित मंच उपलब्ध कराया गया है और वे उचित प्रक्रियाओं के माध्यम से अपनी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं। प्रशासन ने यह भी कहा कि अगर छात्र अपने विरोध को शांतिपूर्ण और विश्वविद्यालय के नियमों के दायरे में रखते, तो उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
2019 का सीएए विरोध प्रदर्शन और पुलिस कार्रवाई (Delhi High Court)
छात्रों का यह विरोध प्रदर्शन 2019 में हुए सीएए विरोध प्रदर्शनों पर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई की बरसी मनाने के लिए था। उस समय विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने छात्रों पर कार्रवाई की थी, जिसमें कई छात्र घायल हुए थे। छात्रों का कहना है कि यह कार्रवाई “अन्यायपूर्ण” थी और वे इसे याद कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे।
2019 में जब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे, तब जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय उन जगहों में से एक था जहां छात्रों और प्रदर्शनकारियों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश कर छात्रों पर लाठीचार्ज किया था और कई छात्रों को गिरफ्तार भी किया गया था।
छात्रों का कहना है कि वे इस घटना को याद कर सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को यह संदेश देना चाहते थे कि वे किसी भी अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठाते रहेंगे। हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे अनुशासनहीनता करार दिया और छात्रों को निलंबित कर दिया।
न्यायालय का आदेश और भविष्य की प्रक्रिया (Delhi High Court)
न्यायालय ने कहा कि “छात्रों को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है, बशर्ते कि वे कानूनी दायरे में रहें।” अदालत ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि वह छात्रों के साथ संवाद स्थापित करे और मामले का सौहार्दपूर्ण समाधान निकाले।
अदालत ने यह भी कहा कि छात्र विश्वविद्यालय में केवल पढ़ाई के लिए नहीं आते, बल्कि यह उनके व्यक्तित्व विकास का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसलिए, उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जानने और अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है। यदि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण है, तो इसे विश्वविद्यालय के विकास का एक हिस्सा समझा जाना चाहिए न कि अनुशासनहीनता।
इस आदेश के अनुसार, 12 फरवरी को जारी निलंबन आदेश को अगली सुनवाई तक स्थगित कर दिया गया है। साथ ही, विश्वविद्यालय को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है जिसमें बताया जाए कि मामले को हल करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
छात्र राजनीति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रभाव (Delhi High Court)
यह मामला विश्वविद्यालयों में छात्र राजनीति, लोकतांत्रिक अधिकारों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं से जुड़ा हुआ है। यह निर्णय छात्रों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मजबूत करने और विश्वविद्यालय प्रशासन की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल जामिया मिलिया इस्लामिया तक सीमित मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के विश्वविद्यालयों में छात्र अधिकारों और प्रशासनिक नियंत्रण के बीच संतुलन को दर्शाता है। कई अन्य विश्वविद्यालयों में भी हाल के वर्षों में छात्रों के विरोध प्रदर्शनों पर इसी तरह की प्रशासनिक कार्रवाई देखने को मिली है।
यह मामला भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में छात्रों की भूमिका पर भी एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दे सकता है। विश्वविद्यालय केवल शिक्षण संस्थान नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक और राजनीतिक चर्चाओं के केंद्र भी होते हैं। छात्रों को अपने विचार रखने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार होना चाहिए, और प्रशासन को इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के रूप में देखना चाहिए।

निष्कर्ष (Delhi High Court)
Delhi High Court Order का यह फैसला छात्रों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिखाता है कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना छात्रों का लोकतांत्रिक अधिकार है और विश्वविद्यालय प्रशासन को इसे सम्मानपूर्वक स्वीकार करना चाहिए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि छात्रों के खिलाफ की गई कोई भी अनुशासनात्मक कार्रवाई उचित प्रक्रिया और कानूनी प्रावधानों के तहत ही होनी चाहिए। अब देखना होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में किस प्रकार की कार्रवाई करता है और छात्रों के साथ कैसा संवाद स्थापित करता है।